शब्दों की ज़ुबानी लिखता हूँ
गीतों की कहानी लिखता हूँ
दर्दों के विस्तृत अम्बर में
भावों के पंक्षी उड़ते हैं
नाचें हैं शरारे उल्फ़त के
जब तार ह्रदय के जुड़ते हैं
हर सुबह से शबनम लेकर
फिर शाम सुहानी लिखता हूँ
जब दर्द से जुड़ता है रिश्ता
हर बात प्रीत से होती है
तब भावनाओं के धागे में
अश्क़ों को आँख पिरोती है
ऐसे ही अपनेपन को मैं
रिश्तों की निशानी लिखता हूँ
पानी में आँखों के भीतर
ये नमक ग़मों का घुलता है
जब नेह की होती है बारिश
तब मैल ह्रदय का धुलता है
दरिया से निर्मल जल सा मैं
आँखों का पानी लिखता हूँ
*रेखाचित्र-अनुप्रिया
*रेखाचित्र-अनुप्रिया
...लाज़वाब....बहुत सुन्दर भावमयी रचना...
ReplyDeleteपानी में आँखों के भीतर
ReplyDeleteये नमक ग़मों का घुलता है
जब नेह की होती है बारिश
तब मैल ह्रदय का धुलता है
दरिया से निर्मल जल सा मैं
आँखों का पानी लिखता हूँ ....वाह!क्या कहने आपकी लेखनी के!
बहुत बहुत आभार सर
Deleteभावपूर्ण रचना ..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीया
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