प्यार करें

कड़ी है धूप चलो छाँव तले प्यार करें 
जहाँ ठहर के वक़्त आँख मले प्यार करें 
नज़रिया बदलें तो दुनिया भी बदल जाएगी 
भूल के रंजिशें, शिकवे-ओ-गिले प्यार करें 

वफ़ा ख़ुलूस के जज्बों से लबालब होकर
फूल अरमानों का जब-जब भी खिले प्यार करें 

दिलों के दरम्यां रह जाये न दूरी कोई 
चराग़ दिल में कुर्बतों का जले प्यार करें 

तमाम नफ़रतें मिट जाये दिलों से अपने 
तंग एहसास कोई जब भी खले प्यार करें 

कौन अपना या पराया नदीश छोडो भी 
मिले इंसान जहाँ जब भी भले प्यार करें 

*चित्र साभार-गूगल

2 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना लोकेश जी👌👌

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  2. बहुत बहुत आभार आदरणीया

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