बेताब दिल की


सांसों की फिसलती हुई ये डोर थामकर

बेताब दिल की घड़कनों का शोर थामकर

करता हूँ इंतज़ार इसी आस में कि तुम

आओगी कभी तीरगी में भोर थामकर

4 comments:

  1. प्रभावी भावाभियक्ति सीधे दिल को छूती हुई।

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  2. अति सुन्दर‎ भावाभिव्यक्ति ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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