मिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने


मिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने
इश्क़ की राह को आसान कर दिया तूने

ख़लिश मैं ओस की महसूस करूं फूलों में
दिल के एहसास को कैसा असर दिया तूने

रहेगी याद ये सौग़ात उम्र भर तेरी
सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने

न कोई नक्स-ए-पा है न कोई मंजिल के निशां
मेरी हयात को ये रहगुज़र दिया तूने

ख़ुद अपने घर में ही मेहमान हो गया है 'नदीश'
मेरे एहसास को ऐसा सफ़र दिया तूने


चित्र साभार : गूगल

3 comments:

  1. ख़ुद अपने घर में ही मेहमान हो गया है 'नदीश'
    मेरे एहसास को ऐसा सफ़र दिया तूने

    Simply superb...

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  2. बहुत सुंदर रचना आपकी लोकेश जी👌👌

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    1. बेहद शुक्रिया आदरणीया

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