दूर हमने यूँ तीरगी कर ली
जला के दिल को रौशनी कर ली
दोस्ती है फ़रेब जान के ये
जो मिला उससे दुश्मनी कर ली
ज़िन्दगी कैसे रहबरी करती
मौत ने मेरी रहज़नी कर ली
इसलिए हो गए खफ़ा आंसू
सिर्फ उम्मीद-ए-ख़ुशी कर ली
गिर गए आईने की आँखों से
अक्स ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली
रूठ के जाना किसी का ऐ नदीश
रूह ने जैसे बेरुख़ी कर ली
बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
ReplyDeleteशुक्रिया संजय जी
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