लोकराग
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने
आँखों में
फिर चमकने लगे हैं
यादों के कुछ लम्हें
गूंजने लगी हैं कान में
वो तमाम बातें
जो कभी हमने की ही नहीं
नज़र आई कुछ तस्वीरें
जो वक़्त ने खींच ली होगी
और तुम्हारा ही नाम
पढ़ रहा था हर कहीं
जब पलट रहा था मैं
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने
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