लोकराग
नाम पे मेरे
अपनी आंखों से मुहब्बत का बयाना कर दे
नाम पे मेरे ये अनमोल खज़ाना कर दे
सिमटा रहता है किसी कोने में बच्चे जैसा
मेरे अहसास को छू ले तू सयाना कर दे
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