लोकराग
श्रृंगार ख़्वाबों का
●●■◆■◆■●●
रंग भरूँ शोख़ी में आज शबाबों का
रुख़ पे तेरे मल दूँ अर्क गुलाबों का
होंठो का आलिंगन कर यूँ होंठो से,
हो जाए श्रृंगार हमारे ख़्वाबों का
●●■◆■◆■●●
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment