लोकराग
आँख को रोते देखा
ये करिश्मा मोहब्बत में होते देखा
लब पे हँसी, आँख को रोते देखा
गुजरे हैं मंज़र भी अज़ब, आँखों से
साहिल को कश्तियाँ डुबोते देखा
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