तन्हाई

ख़्वाब देखना तो जैसे
भूल चुकी हैं आँखें
और नींद भी मानो
अब, पहचानती ही नहीं
बस, थोड़ा सा आसरा है
इन यादों का
उन बातों का
जिसे महसूस किया है दिल ने
दूरियों के बाद भी
सिमट गई है कुछ पल में
उस मुहब्बत की ख़ुश्बू
मगर
अब सिर्फ सन्नाटा है
इतना सन्नाटा कि
उकताने लगी है
तन्हाई भी

चित्र साभार-गूगल

4 comments:

  1. अब सिर्फ सन्नाटा है
    इतना सन्नाटा कि
    उकताने लगी है
    तन्हाई भी
    वाह!!!
    लाजवाब सृजन।

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  2. बहुत खूब ... ये तन्हाई भी रास आने लगती है ...

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  3. सुंदर मनःसंयोजन। शुभकामनाएं।

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