दो नज़्में


तुम्हारी
उलझी जुल्फों को
सुलझाते हुए अक्सर,
मन उलझ जाता है
सुलझी हुई जुल्फों में...

चित्र साभार- गूगल

तन्हाई में आकर अचानक
तुम्हारी याद
जगा देती है उम्मीद
तुम्हारे आ जाने की
उसी तरह,
जिस तरह
हवा के साथ आने वाली
सोंधी ख़ुश्बू
जगा देती है आस
बारिश की