लोकराग
सोया हुआ ज्वालामुखी
हलचल सी मची है
उम्मीदों की बस्ती में
गिरने लगे हैं
तमन्ना के झुलसे हुये शजर
कुछ ही देर में ढाँक लेगा
अहसास के आसमां को
पिघले हुये ख़्वाबों का
लावा और गुबार
क्योंकि
आँखों में फूट पड़ा है
वादी-ए-ख़्वाब में
सोया हुआ ज्वालामुखी...
चित्र साभार-गूगल
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